मुंबई ; महाराष्ट्र में पिछले कई वर्षों से गुटखा पर बैन लगा हुआ है। हालांकि, कई दुकानों में यह आसानी से मिलता है, जिसे खाकर लोग अपनी और शहर की सेहत खराब करते रहते हैं। अब इस मामले में एक बड़ा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य में गुटखा तस्करों को खुद महायुति सरकार की शह मिल रही है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गुटखा का यह गोरखधंधा मंत्रालय से चल रहा है। हाल ही में गुटखा से भरा एक ट्रक चार दिनों तक नासिक स्थित उद्योग भवन के वैंâपस में खड़ा रहा।
इस मामले में एफडीए व मंत्रालय के कई अधिकारी शामिल बताए जाते हैं। जब यह मामला लीक हो गया तब कानूनी कार्रवाई करने की बात सामने आई है। ऐसे में एफडीए मंत्री नरहरी झिरवल भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, नासिक में कुछ फर्जी अधिकारियों ने गुटखे से भरा एक ट्रक जब्त किया और उसे सीधे एफडीए (खाद्य व औषध प्रशासन) कार्यालय में ही ले जाकर खड़ा कर दिया।
करोड़ों रुपयों का गुटखा
उस ट्रक में करोड़ों रुपए का गुटखा भरा हुआ था। बताया जाता है कि इन फर्जी अधिकारियों के तार मंत्रालय में बैठे कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से है। मंत्रालय के ये अधिकारी इन फर्जी एफडीए अधिकारियों की मदद कर रहे थे।
मंत्री पर उठी उंगलियां
इस घटना के बाद राज्य के खाद्य व औषध प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवल सवालों के घेरे में हैं तो अब उनके विभाग के कामकाज को लेकर एक अलग ही चर्चा छिड़ गई है। उनके ही जिले में फर्जी अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के नाम पर आर्थिक लूट की कोशिश सामने आई है। बता दें दूसरे राज्यों से कानूनन प्रतिबंधित गुटखे की अवैध तस्करी की जा रही थी।
महाराष्ट्र में बैन के बावजूद
गृह विभाग के आशीर्वाद से हर जगह मिलता है गुटखा!
चार दिन तक ट्रक सरकारी कार्यालय में खड़ा रहा, लेकिन न तो कोई कानूनी कार्रवाई हुई, न ही उनकी जांच। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई और देरी क्यों हुई?
महाराष्ट्र में गुटखा बैन है। मगर सरकार के गृह विभाग के आशीर्वाद से यह कई जगहों पर उपलब्ध है। पुलिस को सब पता है। बस कभी-कभार खानापूर्ति के लिए कोई कार्रवाई हो जाती है। मगर अब तो एक बड़ा मामला सामने आया है। गुटखा भरा एक ट्रक चार दिनों तक सरकारी कार्यालय के बाहर खड़ा रहा। चार दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं की गई और जब मामला लीक हो गया तब आनन-फानन में लीपापोती शुरू की गई।
दरअसल, नासिक में यह गुटखा भरा ट्रक पकड़ा गया था। वहां एक फर्जी अधिकारी ने इसे पकड़ा और एफडीए कार्यालय ले आया था। इस पर चर्चा शुरू हुई तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामला सीधे मुंबई स्थित मंत्रालय तक पहुंचा और वहां से भी पूछताछ शुरू हो गई। स्थानीय अधिकारियों ने गुटखे से भरे ट्रक पर फर्जी अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार की है। हैरानी की बात ये है कि इस रिपोर्ट में मंत्रालय के अधिकारियों के संबंध होने का भी जिक्र किया गया है, जिससे और हंगामा खड़ा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि फर्जी अधिकारियों ने प्रतिबंधित सुपारी पर कार्रवाई की, जिसकी कीमत करोड़ों में थी। अब यह बड़ा सवाल है कि इस प्रतिबंधित सुपारी का क्या किया जाने वाला था और उसमें किसका कितना हिस्सा तय किया गया था? खाद्य व औषध प्रशासन की प्रणाली इतनी लापरवाही वैâसे कर रही थी? यह गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है।
सेटिंग नहीं हो पाई
यह कार्रवाई ९ और १० मई के बीच हुई थी। ट्रकों को जब्त कर उद्योग भवन स्थित सरकारी कार्यालय में लाया गया। वहां अगले चार दिन तक इस बात पर चर्चा चलती रही कि आगे की कार्रवाई को वैâसे ‘एडजस्ट’ किया जाए। यह चर्चा दरअसल ‘मांडवली’ यानी सेटिंग को लेकर थी।