नागपुर : महानगरपालिका नागपुर (Nagpur Municipal Corporation) के कमिश्नर ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच से माफी मांगी है। यह माफी उन्होंने दंगे के आरोपी फहीम खान के घर को तोड़ने के मामले में मांगी है। कमिश्नर ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया था, इसलिए उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है। कमिश्नर अभिजीत चौधरी ने एक हलफनामे में कहा कि टाउन प्लानिंग और स्लम विभाग के अधिकारियों को SC के 13 नवंबर, 2024 के आदेश के बारे में पता नहीं था। SC का आदेश कहता है कि सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों को तोड़ने से पहले कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। फहीम खान के घर चला था बुलडोजर
कोर्ट में फहीम की मां, 69 वर्षीय मेहरुन्निसा, और 96 वर्षीय अब्दुल हफीज ने याचिका दायर की थी। अब्दुल हफीज के एक रिश्तेदार का नाम भी 17 मार्च को शहर के महल इलाके में हुए दंगों में आया था। जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले पर ध्यान दिया, तब तक संजय बाग कॉलोनी में रजा मस्जिद के पास स्थित फहीम का घर तोड़ा जा चुका था। हफीज का घर भी आंशिक रूप से तोड़ा गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक
हाई कोर्ट ने 25 मार्च को आगे की तोड़फोड़ पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि तोड़फोड़ मनमानी थी और सुप्रीम कोर्ट के उन नियमों का उल्लंघन करती है जो बिना उचित प्रक्रिया के दंडात्मक कार्रवाई को रोकते हैं। महानगरपालिका कमिश्नर का दावा
महानगरपालिका कमिश्नर अभिजीत चौधरी ने कोर्ट में कहा कि सक्षम अधिकारियों और कार्यकारी इंजीनियरों को writ petition no। 295/ 2022 में SC के फैसले की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मेरी जांच में पता चला कि Slum Act, 1971 के तहत कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया था।